देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
No. Pratyahara indicates to provide the senses inside. Which is, closing off exterior notion. Stambhana fixes the perception within by Keeping the assumed nevertheless together with the perception.
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
विच्चे चा ऽभयदा नित्यं, नमस्ते मन्त्ररूपिणि।।
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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय more info है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ
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